ज़िन्दगी हो सुहानी नये साल में
दिल में हो शादमानी नये साल में
सब के आँगन में अबके महकने लगे
दिन को भी रात-रानी नये साल में
ले उड़े इस जहाँ से धुआँ और घुटन
इक हवा ज़ाफ़रानी नये साल में
इस जहाँ से मिटे हर निशाँ झूठ का
सच की हो पासबानी नये साल में
है दुआ अबके ख़ुद को न दोहरा सके
नफ़रतों की कहानी नये साल में
बह न पाए फिर इन्सानियत का लहू
हो यही मेहरबानी नये साल में
राजधानी में जितने हैं चिकने घड़े
काश हों पानी-पानी नये साल में
वक़्त ! ठहरे हुए आँसुओं को भी तू
बख़्शना कुछ रवानी नये साल में
ख़ुशनुमा मरहलों से गुज़रती रहे
दोस्तों की कहानी नये साल में
हैं मुहब्बत के नग़्मे जो हारे हुए
दे उन्हें कामरानी नये साल में
अब के हर एक भूखे को रोटी मिले
और प्यासे को पानी नये साल में
काश खाने लगे ख़ौफ़ इन्सान से
ख़ौफ़ की हुक्मरानी नये साल में
देख तू भी कभी इस ज़मीं की तरफ़
ऐ नज़र आसमानी ! नये साल में
कोशिशें कर, दुआ कर कि ज़िन्दा रहे
द्विज ! तेरी हक़-बयानी नये साल में.
मेरे हिस्से के डॉ. मेघ
5 weeks ago
9 comments:
नववर्ष पर इससे बेहतरीन रचना देने के लिय्ये बधाईयाँ !
नव-वर्ष पर इतनी शानदार गज़ल....पूरे वर्ष का आकलन करती हुई
द्विज जी और प्रकाश जी को नये साल की हार्दिक शुभकामनायें...
द्विज जी नमस्कार,
सबसे पहले तो नए साल पे आपको ढेरो बधाई और मंगलकामनाएं ,और साथ में इतनी खुबसूरत और साफ-सुथरी ग़ज़ल के लिए आपको ढेरो आभार...
अर्श
good afternoon sir,
this ghazal is veryyyyy good
every line of this ghazal is heart touching
you great sir
बहुत हुआ खौफ ,लहू ,आंसू, घुटन और दहशत की चुभन
खुदा करे कुबूल दुआ, जाग जाए फितरत इंसानी ,नए साल में
कोशिशें कर, दुआ कर कि ज़िन्दा रहे
द्विज ! तेरी हक़-बयानी नये साल में.
आमीन !
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
नये वर्ष की इस रचना में आपने बहुत ही खूबसूरत ख्यालात का मुजाहिरा किया है.. ईश्वर से प्रार्थना है कि आपका लफ़्ज लफ़्ज बर आये.
वक़्त ! ठहरे हुए आँसुओं को भी तू
बख़्शना कुछ रवानी नये साल में
behad khubsurat khyaal !--kya baat hai!
umda gazal!
बेमिसाल शायर द्विज जी का भी नया साल ऐसा खूबसूरत गुज़रे जैसी की उनकी ये ग़ज़ल....बेहतरीन और लाजवाब...
नीरज
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