द्विजेन्द्र "द्विज"

द्विजेन्द्र "द्विज" एक सुपरिचित ग़ज़लकार हैं और इसके साथ-साथ उन्हें प्रख्यात साहित्यकार श्री सागर "पालमपुरी" के सुपुत्र होने का सौभाग्य भी प्राप्त है। "द्विज" को ग़ज़ल लिखने की जो समझ हासिल है, उसी समझ के कारण "द्विज" की गज़लें देश और विदेश में सराही जाने लगी है। "द्विज" का एक ग़ज़ल संग्रह संग्रह "जन-गण-मन" भी प्रकाशित हुआ है जिसे साहित्य प्रेमियों ने हाथों-हाथ लिया है। उनके इसी ग़ज़ल संग्रह ने "द्विज" को न केवल चर्चा में लाया बल्कि एक तिलमिलाहट पैदा कर दी। मैं भी उन्ही लोगों में एक हूं जो "द्विज" भाई क़ी गज़लों के मोहपाश में कैद है। "द्विज" भाई की ग़ज़लें आपको कैसी लगी? मुझे प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी!
********************प्रकाश बादल************************

Sunday 15 March 2009

....कोई हादसा दे जाएगा

Posted by Prakash Badal

अब के भी आकर वो कोई हादसा दे जाएगा

और उसके पास क्या है जो नया दे जाएगा


फिर से ख़जर थाम लेंगी हँसती—गाती बस्तियाँ

जब नए दंगों का फिर वो मुद्दआ दे जाएगा


‘एकलव्यों’ को रखेगा वो हमेशा ताक पर

‘पाँडवों’ या ‘कौरवों’ को दाख़िला दे जाएगा


क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं

और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा


ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी के साये न होंगे नसीब

ऐसी मंज़िल का हमें वो रास्ता दे जाएगा

32 comments:

सुशील छौक्कर said...

बेहतरीन रचना।

"अर्श" said...

क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं

और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा
द्विज जी नमस्कार,मैं क्या कहूँ इस ग़ज़ल के बारे में कहर बरपा रही है .. उफ्फ्फ ... मुरीद हूँ पहले से अब आप क्या चाहते हो.. बहोत ही बेहतरीन लिक्छा है आपने...

अर्श

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

मत्ला लाजवाब!

हरकीरत ' हीर' said...

क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं
और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा
Waah waah...!!
ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी के साये न होंगे नसीब
ऐसी मंज़िल का हमें वो रास्ता दे जाएगा
Bhot khooooob...!! Baki Dad dene Muflish ji, Manu ji, Goutam ji aate hi honge...!!

राज भाटिय़ा said...

ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी के साये न होंगे नसीब

ऐसी मंज़िल का हमें वो रास्ता दे जाएगा
बहुत ही सुंदर.
धन्यवाद

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया ...लाजवाब !!

Anonymous said...

अब के भी आकर वो कोई हादसा दे जाएगा
और उसके पास क्या है जो नया दे जाएगा "

इन पंक्तियों के साथ ही पूरी गजल खूबसूरत लगी। धन्यवाद ।

कडुवासच said...

ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी के साये न होंगे नसीब
ऐसी मंज़िल का हमें वो रास्ता दे जाएगा
... बेहद खूबसूरत व लाजबाव गजल है, बधाई ।

Dr. Amar Jyoti said...

'एकलव्यों को …'
'क़त्ल करके…'
बहुत ही सुन्दर और सशक्त।
बधाई।

manu said...

हरकीरत जी,
क्या छाँट कर आपने लिखे है नाम आपने ,,,,,मालूम हो गया है शायद आपको भी के हमें भी द्विज भाई की बिमारी लग चुकी है,,,,,
एक मजेदार बात ,,,,,,ग़ज़ल पढ़ी ,,,कमेंट क्या दूं ,,,सोचने लगा,,तभी कमेंट खुद बा खुद बज गया रेडियो पर,,,,रफी की आवाज में,,,,,,,,,,,

" के मैं चल भी नहीं सकता हूँ और तुम दौड़ जाते हो "

इस से बेहतर मैं नहीं सोच सकता द्विज भाई के बारे में,,,

रंजू भाटिया said...

ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी के साये न होंगे नसीब
ऐसी मंज़िल का हमें वो रास्ता दे जाएगा

बहुत खूब बहुत बढ़िया लिखा है आपने

नीरज गोस्वामी said...

एकलव्यों’ को रखेगा वो हमेशा ताक पर
‘पाँडवों’ या ‘कौरवों’ को दाख़िला दे जाएगा

अब कोई एक शेर हो तो कुछ कहूँ...पूरी की पूरी ग़ज़ल एक से बढ़ कर एक बेहतरीन शेरों से सजी हुई है... मैं इस काबिल नहीं हूँ की भाई द्विज की ग़ज़ल के बारे में कुछ कहूँ बस इतना जानता हूँ की उनको पढ़ कर जो सुकून मिलता है वैसा बहुत कम जगह मिलता है... ज़िन्दगी के बारे में उनका नजरिया बहुत कुछ सिखाता है...इस ग़ज़ल में आज के हालात कितनी खूबसूरती से बयां किये हैं उन्होंने...नमन है उनको और उनकी लेखनी को...

नीरज

गौतम राजऋषि said...

द्विज जी की इस गज़ल का कब से फैन हूँ मैं प्रकाश जी.....
आया था इस पर शेष गुणी जनों के दाद को देखने सुनने...और हरकीरत मैम की बातें पढ़ कर फिर मनु जी के अनूठे कमेंट देख गज़ल का मजा चौगुना हो गया है...
आपको पता नहीं प्रकाश भाई, मगर आप जो ये पूण्य का काम कर रहे हैं...हम सब की दुआ है सदैव आप के साथ

Vinay said...

बधाई, प्रकाश बादल साहब आपके लिए काफ़ी मेहनत कर रहे हैं।


---
गुलाबी कोंपलें

दिगम्बर नासवा said...

‘एकलव्यों’ को रखेगा वो हमेशा ताक पर
‘पाँडवों’ या ‘कौरवों’ को दाख़िला दे जाएगा
क्या बात है सब के सब के शेर एक से बढ़ कर एक हैं., पूरी की पूरी ग़ज़ल लाजवाब है शेरो से सुसज्जित है ... द्विज की ग़ज़ल पर कमेन्ट करने की काबिल तो मैं नहीं पर बस इतना ही कह सकता हूँ की हर बार कुछ न कुछ सीखता हूँ उनको पढ़ कर. उनका जीवन की प्रति नजरिया एक नयी दिशा बताता है सुन्दरता से बयान है इस ग़ज़ल में आज के यथार्थ का
नमन है द्विज जी को ........

सतपाल ख़याल said...

पैरीं पैना सर !
सादर ख्याल

रंजना said...

वाह लाजवाब !!! बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल ! पढ़वाने के लिए आभार.

Anonymous said...

Aapkee gazalen saadgee kaa behtreen
namoona hain.Is gazal kaa har sher
bhee saadgee liye huaa hai.Achchhee
gazal ke liye aapko badhaaee.

Ashutosh said...

पूरी ग़ज़ल ही लाजवाब है.....वाह !!!

महावीर said...

प्रिय 'द्विज'
मेरी मनपसंद बहर, खूबसूरत भावों से सजाए हुए अशाअर, नगीने की तरह जड़े हुए शब्द - हर तरह से एक निहायत ख़ूबसूरत ग़ज़ल दी है आपने।
तीन बार पढ़ चुका हूं कि इस में किस शेअर को सब से अच्छा कह सकूं, लेकिन यहां तो हर शेअर बैत-उल-ग़ज़ल लगता है।
बधाई।
महावीर

योगेन्द्र मौदगिल said...

बेहतरीन........ द्विज जी, वाह...

कंचन सिंह चौहान said...

एकलव्यों’ को रखेगा वो हमेशा ताक पर

‘पाँडवों’ या ‘कौरवों’ को दाख़िला दे जाएगा

kyaa baat hai...! sateek sach

daanish said...

huzoor !
hameshaa hi ki tarah
nayaab ghazal
behtar khyalaat
umda izhaar
jiddat ki shaandaar nishaandehi
mubarakbaad.....
---MUFLIS---

Yogi said...

खूबसूरत रचना
लाजवाब !!!

sandhyagupta said...

क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं

और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा

Hamesha ki tarah is baar bhi man moha hai aapne.

विधुल्लता said...

और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा

sundar hai ...bahut dino baad aanaa huaa aapki post par,umeed hain theek honge

अनुपम अग्रवाल said...

क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं

और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा
वाह वाह..
अर्ज़ करता हूँ ;

अब गुनहगार दे देंगेँ बेगुनाहोँ का पता
क्या बेगुनाह होना ही बेगुनाहोँ की खता

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं,
और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा |
वाह वाह..
रचना बहुत अच्ची लगी।आप मेरे ब्लाग पर आए इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।आगे भी हर सप्ताह आप को ऐसी ही रचनाएं मेरे तीनों ब्लाग पर मिलेगी,सहयोग बनाए रखिए......

Pritishi said...

क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं
और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा

Ahmad Ali Barqi Azmi said...
This comment has been removed by the author.
Ahmad Ali Barqi Azmi said...

Hai nehaayat khoobsoorat yeh blog
Is ka layout hai behad dilnasheen

Hai Dwijinder Dwij ke fan ka yeh kamaal
Kahte hain sab aafreeN sad aafreen

Ho mubarak unko unka janm din
Unki amali zindagi ho behtareen

Unka baagh e zindagi phoole phale
ShaadmaaN hooN un se un ke sha'eqeen

Dr.Ahmad Ali Barqi Azmi
(I/C)Persian service
External Services Division
All India Radio
New Delhi-110001

er.vidya singh said...

dwij sr lajwab ..wahh wahh

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