अब के भी आकर वो कोई हादसा दे जाएगा
और उसके पास क्या है जो नया दे जाएगा
फिर से ख़जर थाम लेंगी हँसती—गाती बस्तियाँ
जब नए दंगों का फिर वो मुद्दआ दे जाएगा
‘एकलव्यों’ को रखेगा वो हमेशा ताक पर
‘पाँडवों’ या ‘कौरवों’ को दाख़िला दे जाएगा
क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं
और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा
ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी के साये न होंगे नसीब
ऐसी मंज़िल का हमें वो रास्ता दे जाएगा
32 comments:
बेहतरीन रचना।
क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं
और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा
द्विज जी नमस्कार,मैं क्या कहूँ इस ग़ज़ल के बारे में कहर बरपा रही है .. उफ्फ्फ ... मुरीद हूँ पहले से अब आप क्या चाहते हो.. बहोत ही बेहतरीन लिक्छा है आपने...
अर्श
मत्ला लाजवाब!
क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं
और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा
Waah waah...!!
ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी के साये न होंगे नसीब
ऐसी मंज़िल का हमें वो रास्ता दे जाएगा
Bhot khooooob...!! Baki Dad dene Muflish ji, Manu ji, Goutam ji aate hi honge...!!
ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी के साये न होंगे नसीब
ऐसी मंज़िल का हमें वो रास्ता दे जाएगा
बहुत ही सुंदर.
धन्यवाद
बहुत बढिया ...लाजवाब !!
अब के भी आकर वो कोई हादसा दे जाएगा
और उसके पास क्या है जो नया दे जाएगा "
इन पंक्तियों के साथ ही पूरी गजल खूबसूरत लगी। धन्यवाद ।
ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी के साये न होंगे नसीब
ऐसी मंज़िल का हमें वो रास्ता दे जाएगा
... बेहद खूबसूरत व लाजबाव गजल है, बधाई ।
'एकलव्यों को …'
'क़त्ल करके…'
बहुत ही सुन्दर और सशक्त।
बधाई।
हरकीरत जी,
क्या छाँट कर आपने लिखे है नाम आपने ,,,,,मालूम हो गया है शायद आपको भी के हमें भी द्विज भाई की बिमारी लग चुकी है,,,,,
एक मजेदार बात ,,,,,,ग़ज़ल पढ़ी ,,,कमेंट क्या दूं ,,,सोचने लगा,,तभी कमेंट खुद बा खुद बज गया रेडियो पर,,,,रफी की आवाज में,,,,,,,,,,,
" के मैं चल भी नहीं सकता हूँ और तुम दौड़ जाते हो "
इस से बेहतर मैं नहीं सोच सकता द्विज भाई के बारे में,,,
ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी के साये न होंगे नसीब
ऐसी मंज़िल का हमें वो रास्ता दे जाएगा
बहुत खूब बहुत बढ़िया लिखा है आपने
एकलव्यों’ को रखेगा वो हमेशा ताक पर
‘पाँडवों’ या ‘कौरवों’ को दाख़िला दे जाएगा
अब कोई एक शेर हो तो कुछ कहूँ...पूरी की पूरी ग़ज़ल एक से बढ़ कर एक बेहतरीन शेरों से सजी हुई है... मैं इस काबिल नहीं हूँ की भाई द्विज की ग़ज़ल के बारे में कुछ कहूँ बस इतना जानता हूँ की उनको पढ़ कर जो सुकून मिलता है वैसा बहुत कम जगह मिलता है... ज़िन्दगी के बारे में उनका नजरिया बहुत कुछ सिखाता है...इस ग़ज़ल में आज के हालात कितनी खूबसूरती से बयां किये हैं उन्होंने...नमन है उनको और उनकी लेखनी को...
नीरज
द्विज जी की इस गज़ल का कब से फैन हूँ मैं प्रकाश जी.....
आया था इस पर शेष गुणी जनों के दाद को देखने सुनने...और हरकीरत मैम की बातें पढ़ कर फिर मनु जी के अनूठे कमेंट देख गज़ल का मजा चौगुना हो गया है...
आपको पता नहीं प्रकाश भाई, मगर आप जो ये पूण्य का काम कर रहे हैं...हम सब की दुआ है सदैव आप के साथ
बधाई, प्रकाश बादल साहब आपके लिए काफ़ी मेहनत कर रहे हैं।
---
गुलाबी कोंपलें
‘एकलव्यों’ को रखेगा वो हमेशा ताक पर
‘पाँडवों’ या ‘कौरवों’ को दाख़िला दे जाएगा
क्या बात है सब के सब के शेर एक से बढ़ कर एक हैं., पूरी की पूरी ग़ज़ल लाजवाब है शेरो से सुसज्जित है ... द्विज की ग़ज़ल पर कमेन्ट करने की काबिल तो मैं नहीं पर बस इतना ही कह सकता हूँ की हर बार कुछ न कुछ सीखता हूँ उनको पढ़ कर. उनका जीवन की प्रति नजरिया एक नयी दिशा बताता है सुन्दरता से बयान है इस ग़ज़ल में आज के यथार्थ का
नमन है द्विज जी को ........
पैरीं पैना सर !
सादर ख्याल
वाह लाजवाब !!! बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल ! पढ़वाने के लिए आभार.
Aapkee gazalen saadgee kaa behtreen
namoona hain.Is gazal kaa har sher
bhee saadgee liye huaa hai.Achchhee
gazal ke liye aapko badhaaee.
पूरी ग़ज़ल ही लाजवाब है.....वाह !!!
प्रिय 'द्विज'
मेरी मनपसंद बहर, खूबसूरत भावों से सजाए हुए अशाअर, नगीने की तरह जड़े हुए शब्द - हर तरह से एक निहायत ख़ूबसूरत ग़ज़ल दी है आपने।
तीन बार पढ़ चुका हूं कि इस में किस शेअर को सब से अच्छा कह सकूं, लेकिन यहां तो हर शेअर बैत-उल-ग़ज़ल लगता है।
बधाई।
महावीर
बेहतरीन........ द्विज जी, वाह...
एकलव्यों’ को रखेगा वो हमेशा ताक पर
‘पाँडवों’ या ‘कौरवों’ को दाख़िला दे जाएगा
kyaa baat hai...! sateek sach
huzoor !
hameshaa hi ki tarah
nayaab ghazal
behtar khyalaat
umda izhaar
jiddat ki shaandaar nishaandehi
mubarakbaad.....
---MUFLIS---
खूबसूरत रचना
लाजवाब !!!
क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं
और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा
Hamesha ki tarah is baar bhi man moha hai aapne.
और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा
sundar hai ...bahut dino baad aanaa huaa aapki post par,umeed hain theek honge
क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं
और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा
वाह वाह..
अर्ज़ करता हूँ ;
अब गुनहगार दे देंगेँ बेगुनाहोँ का पता
क्या बेगुनाह होना ही बेगुनाहोँ की खता
क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं,
और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा |
वाह वाह..
रचना बहुत अच्ची लगी।आप मेरे ब्लाग पर आए इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।आगे भी हर सप्ताह आप को ऐसी ही रचनाएं मेरे तीनों ब्लाग पर मिलेगी,सहयोग बनाए रखिए......
क़त्ल कर के ख़ुद तो वो छुप जाएगा जाकर कहीं
और सारे बेगुनाहों का पता दे जाएगा
Hai nehaayat khoobsoorat yeh blog
Is ka layout hai behad dilnasheen
Hai Dwijinder Dwij ke fan ka yeh kamaal
Kahte hain sab aafreeN sad aafreen
Ho mubarak unko unka janm din
Unki amali zindagi ho behtareen
Unka baagh e zindagi phoole phale
ShaadmaaN hooN un se un ke sha'eqeen
Dr.Ahmad Ali Barqi Azmi
(I/C)Persian service
External Services Division
All India Radio
New Delhi-110001
dwij sr lajwab ..wahh wahh
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