tag:blogger.com,1999:blog-4976009282279614233.post3132689720021654358..comments2022-11-27T01:00:25.478-08:00Comments on द्विजेन्द्र "द्विज": ग़ज़लPrakash Badalhttp://www.blogger.com/profile/04530642353450506019noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-4976009282279614233.post-77366391441600226952008-11-24T20:38:00.000-08:002008-11-24T20:38:00.000-08:00उम्दा इस्लाह के युग-विमर्श का मैं हृदय से आभारी ह...उम्दा इस्लाह के युग-विमर्श का मैं हृदय से आभारी हूँ.युग-विमर्श ने मुझे मेरी ग़ज़ल के दो मिसरों में गंभीर त्रुटियों के बारे में चेताया है. मुझे भी उतनी ही हैरत है कि तकनीकी पक्ष से कमज़ोर ये मिसरे मेरी कलम से कैसे निकले ! इसका कारण है कि ग़ज़ल कहने के बाद मैंने इन मिसरों को ‘तक़्तीअ’ की कसौटी पर परिमार्जित नहीं किया.<BR/><BR/>ख़ैर और बेहतर सूरत मिलने तक फ़िलहाल इन मिसरों को इस तरह बदला है:<BR/><BR/>भले ही आँखों से आता नहीं हमें सुनना<BR/>सुना ही देते हैं चेहरे कहानियाँ अपनी<BR/><BR/>और<BR/><BR/>दूसरे शे’र को अब यूँ पढ़ा जाना चाहूँगा:<BR/><BR/>ज़लील होता है कब वो उसे हिसाब नहीं <BR/>वो गिन रहा है अभी तो दिहाड़ियाँ अपनी.<BR/><BR/>भविष्य में भी युग विमर्श से ऐसी नेक इस्लाह की उम्मीद रहेगी. <BR/><BR/>मेरी ग़ज़लों के ब्लाग पर तशरीफ़ लाने वाले तमाम सुधी पाठकों का भी बहुत-बहुत आभार.<BR/>आप सबकी टिप्पणियाँ मुझे प्रेरित करती रहेंगी, इसी आशा के साथ,<BR/><BR/>सादर<BR/><BR/>द्विजेन्द्र द्विजद्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4976009282279614233.post-67492980989058369502008-11-23T13:55:00.000-08:002008-11-23T13:55:00.000-08:00बुलन्द हौसलों की इक मिसाल हैं ये भी,पहाड़ रोज़ दिखा...बुलन्द हौसलों की इक मिसाल हैं ये भी,<BR/>पहाड़ रोज़ दिखाते हैं चोटियाँ अपनी<BR/><BR/>ये शेर बहुत अच्छा है। very inspiring...Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4976009282279614233.post-39863546661355039652008-11-23T10:53:00.000-08:002008-11-23T10:53:00.000-08:00बहुत सुन्दर !घुघूती बासूतीबहुत सुन्दर !<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4976009282279614233.post-64652815225785657092008-11-23T09:22:00.000-08:002008-11-23T09:22:00.000-08:00बहुत सुंदर।बहुत सुंदर।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4976009282279614233.post-46594992240878813612008-11-23T08:04:00.000-08:002008-11-23T08:04:00.000-08:00badhiya gajal ...badhiya gajal ...समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4976009282279614233.post-36899569832859761132008-11-23T06:43:00.000-08:002008-11-23T06:43:00.000-08:00एक अच्छी और कामयाब ग़ज़ल. मगर हैरत है कि ये मिसरा ...एक अच्छी और कामयाब ग़ज़ल. मगर हैरत है कि ये मिसरा आपके कलम से कैसे निकला- "हमें भी आंखों से सुनना नहीं आता उनको" ये बह्र से खारिज है. आपमें सलाहियत है. आप चाहते तो कुछ दूसरे शेरों को भी और बेहतर कर सकते थे. दिहाडियाँ वाला मिसरा भी टूटता है. <BR/>'वो बातें करता तो है पुर-तपाक लहजे में / मगर छुपा नहीं पाता है तल्खियां अपनी', और 'बदलते वक़्त कि रफ़्तार वो समझते हैं / बदलते रहते हैं अक्सर जो टोपियाँ अपनी' या 'बना के छाप लो तुम उनको सुर्खियाँ अपनी / कुंएं में डाल के आया हूँ नेकियाँ अपनी' ख़ास तौर से अच्छे अश'आर हैं.युग-विमर्शhttps://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4976009282279614233.post-71821707736814002892008-11-23T06:40:00.000-08:002008-11-23T06:40:00.000-08:00बहुत बढिया गजल है।बधाई।बुलन्द हौसलों की इक मिसाल ह...बहुत बढिया गजल है।बधाई।<BR/><BR/>बुलन्द हौसलों की इक मिसाल हैं ये भी,<BR/><BR/>पहाड़ रोज़ दिखाते हैं चोटियाँ अपनी|परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4976009282279614233.post-19005079722760042952008-11-23T06:12:00.000-08:002008-11-23T06:12:00.000-08:00क़तारें देख के लम्बी हज़ारों लोगों की,मैं फाड़ देत...क़तारें देख के लम्बी हज़ारों लोगों की,<BR/><BR/>मैं फाड़ देता हूँ अकसर सब अर्ज़ियाँ अपनी|<BR/><BR/><BR/>यूँ बात करता है वो पुर-तपाक लहज़े में,<BR/><BR/>मगर छुपा नहीं पाता वो तल्ख़ियाँ अपनी|<BR/><BR/>waah gazab lajawab sundarmehekhttps://www.blogger.com/profile/16379463848117663000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4976009282279614233.post-14382005005753348442008-11-23T05:50:00.000-08:002008-11-23T05:50:00.000-08:00bahot badhiya ghazal likha hai aapne bahot khub......bahot badhiya ghazal likha hai aapne bahot khub...."अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.com